मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।”
दोस्तों भारत के रत्न रतन टाटा जी को कौन नहीं जानता. चूँकि आज के समय में वे हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके द्वारा किये गए सामाजिक कार्यों की चर्चा हर कोई कर रहा है. वैसे तो इस धरती पर प्रतिदिन न जाने कितने ही लोगों का स्वर्गवास होते रहता है लेकिन क्या हर किसी की प्रशंशा इस तरह से होती है जिस तरह से रतन टाटा सर की हो रही है.
ऐसा क्यों ????? ऐसी कौन सी बात उनमे थी , जो उन्हें बाकी के लोगों से अलग करती थी.
दोस्तों वह बात थी , लोगों की मदद करना …….जरुरत मंदों को मदद करना , असहाय लोगों का सहारा बनना , दुखियों के सुख का कारण बनना। ऐसे ही कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता है , महान बनने के लिए महान कार्य करने पड़ते हैं, लालच , मोह माया , कुछ पाने की इच्छा को त्यागना पड़ता है. हमारे रतन टाटा जी में ये सब गुण थे , जो उन्हें महान बनाता है. धन तो बहुत लोगों ने कमाया लेकिन क्या कभी किसी ने Cancer Hospital , Animal Hospital बनवाया ?
ऐसे कई सामाजिक कार्य Ratan Tata Sir द्वारा किया जा रहा था, जिस कारण आज हर कोई उन्हें याद कर रहा है. उन्ही से जुडी एक कहानी आज मैं आप लोगों से साझा करता हूँ , यदि आप लोगों को कहानी अच्छी लगी तो अपने मित्रों से भी शेयर करना.
एक बार Interview में भारतीय अरबपति रतन जी टाटा से किसी ने पूछा कि “सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली”?
रतनजी टाटा जी ने कहा – “मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।”
पहला चरण – धन और साधन संचय करना था.
लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था.
दूसरा चरण – क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का.
लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती.
फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण. मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था. लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.
चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने एवं उन अनाथ बच्चों की मदद करने के लिए कहा.
लगभग 200 बच्चे थे , दोस्त के कहने पर मैंने तुरंत व्हीलचेयर और कुछ जरुरत की चीजें खरीद ली.
लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हीलचेयर सौंप दूं. मैं तैयार होकर उसके साथ चल दिया. वहाँ मैंने इन बच्चों को अपने हाथों से ये व्हील चेयर दी.
मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी. मैंने उन सभी को व्हीलचेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा.
यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हों.
मुझे अपने अंदर असली खुशी महसूस हुई. जब मैं वंहा से जाने का फैसला किया तो उन बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली. मैंने धीरे से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को कस कर पकड़ लिया.
मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?
इस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया.
इस बच्चे ने कहा: “मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।”
उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह जानने की कोशिश करना चाहिए कि, इस जीवन और सारी सांसारिक गतिविधियां को छोड़ने के बाद आपको किस लिए याद किया जाएगा? क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा !!!!!
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