संगति का असर | Hindi Motivational Story

दोस्तों जीवन में संगति का असर बहुत ज्यादा होता है. हम जिस संगति में रहते हैं, जिस माहौल में रहते हैं , जिस भी वातावरण में रहते हैं , उनके अनुकूल हमारा व्यवहार बन जाता है.  इसलिए हमारे बुजुर्गों ने हमेशा से यह हिदायत दी है कि – अपनी संगति अच्छी रखनी चाहिए. ऐसे में हर किसी को अपनी संगति सोच समझकर चुननी चाहिए.  आप सदैव अच्छे मित्र बनायें , अच्छे सोसाइटी में रहें , अच्छे लोगों के साथ उठना बैठना करें.

दोस्तों इसी से प्रेरित , मैं आज आप लोगों से एक छोटी सी कहानी शेयर करता हूँ , यह कहानी आपको जैसी भी लगे , मुझे अपने कमैंट्स के माध्यम से जरूर बताएं.

दोस्तों एक होनहार लड़का था , जिसका नाम रोहित था.  रोहित हमेशा से ही पढ़ने लिखने में अच्छा था.  स्कूल की परीक्षा में वह हमेशा अव्वल रहता था.  रोहित के कुछ ही दोस्त थे लेकिन वे भी रोहित के जैसे ही पढ़ने लिखने में अव्वल थे. रोहित और रोहित के दोस्तों में अच्छी बनती थी इसलिए वे लोग अक्सर साथ – साथ ही रहते थे.

धीरे – धीरे समय बीतता गया और अब रोहित ने कुछ नए दोस्त बना लिए और अपने पुराने दोस्तों से किनारा कर लिया. उसके ये नए दोस्त उसे रोज नयी नयी जगह पर घूमने के लिए ले जाते , मूवी मस्ती करना यह सब धीरे – धीरे बढ़ने लगा.

इसका असर यह हुआ कि रोहित के मार्क्स में कमी आने लगी. रोहित के एक टीचर जो उसे काफी दिनों से जानते थे , उन्होंने रोहित को काफी समझाने की कोशिश किया. उसे कई बार हिदायत दिए कि पढ़ाई – लिखाई में अपनी रूचि आप खोते जा रहे हो , लेकिन इन सब बातों का रोहित पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता.

इन सबका अंत परिणाम यह आया कि रोहित अंतिम परीक्षा में फेल हो गया.

परीक्षा में फेल होने के बाद मानो रोहित के पैर के निचे से जमीन ही खिसक गयी हो. कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए. उसकी इस परेशानी को देखकर उसके टीचर ने उसे अपने घर मिलने के लिए बुलाया.

मरता क्या न करता !!! रोहित शाम के समय अपने टीचर के घर पहुंच गया.  सर्दी का मौसम था , उसके टीचर सिगड़ी पर कोयले को जलाकर बैठे हुए थे. रोहित टीचर के पास पहुंचकर प्रणाम किया और पास में ही बैठ गया.

दोनों ही लोग चुप-चाप बैठे थे.  इतने में टीचर ने जलते हुए सिगड़ी में से एक जलता कोयला बाहर निकाला और जमीन पर रख दिया. जमीन पर रखने से जैसे ही कोयला मिट्टी के संपर्क में आया , धीरे धीरे वह बुझ गया.

रोहित यह सब देख रहा था , उसने तुरंत टीचर से बोला , गुरूजी आपने जलते कोयले को बाहर क्यों निकाल दिया? आखिर यह अब बुझ गया.

टीचर ने रोहित की बात सुनते ही तुरंत उस कोयले को उठाकर जलते हुए सिगड़ी वापस में रख दिए , फिर से धीरे – धीरे वह कोयला जलने लगा.

गुरूजी ने उसे उत्तर देते हुए समझाया कि – जब तक यह कोयला सिगड़ीं में अन्य कोयलों के साथ था तब तक वह जल रहा था लेकिन जैसे ही यह कोयला मिट्टी के संपर्क में आया बुझ गया.  और जैसे ही मैंने इसे वापस सिगड़ी में रखा , यह वापस जलने लगा.

अब तक रोहित को सब समझ आ चूका था.   उसे पता चल चूका था कि मुझमे क्या वदलाव करनी है.  मुझे जल्द से जल्द अपनी संगति बदलनी है.

दोस्तों इस कहानी का यही सार है कि आपके जीवन पर आपकी संगति का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. जैसे आपकी संगति होगी वैसे आपकी रंगत होगी।  अच्छे दोस्तों के संपर्क में रहोगे तो सुखः का अनुभव करोगे और बुरे दोस्तों के साथ में रहोगे तो दुःख.

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